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पितृयो का कल्याण करने वाला मोक्षदा एकादशी 2022 समय और कथा जानें

ऐसी  एकादशी जो मोक्ष प्रदान करती है।  मोक्ष मतलब बंधन से मुक्ति। 

संपूर्ण सृष्टि का विस्तार श्रीकृष्ण से होता है। जब तक हम  कृष्ण में मिलते नहीं है भटकते रहते है।

कृष्णा से मिल जाना ही मोक्ष है।  


मोक्षदा एकादशी क्या है ?


यह मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली  एकादशी है, जिसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है।

इस दिन भगवान कृष्ण की दामोदर रूप की पूजा की जाती है।

Krishna Damodar

मोक्षदा एकादशी कब है ?

इस  साल यह एकादशी   3 दिसंबर 2022   सुबह 05:39  से  4 दिसंबर 2022 सुबह 05:34  तक रहेगा। 

इस एकादशी को नियम पूर्वक करने से यह आपके पितृ लोगों को भी मोक्ष प्रदान करती है। 

आप पर भगवान श्रीकृष्णा के साथ पितृ कृपा भी बनी रहती है। 

मोक्षदा  एकादशी के ही दिन गीता जयंती भी मनाया जाता है। क्योंकि भगवान श्रीकृष्णा भगवत गीता का उपदेश मोक्षदा  एकादशी के ही दिन दिए थे। 

इस दिन गीता का  जो पाठ करता है या सुनता है या किसी को सुनाता है, उसे भगवान श्रीकृष्णा का असीम कृपा प्राप्त होती है। 

भगवान श्रीकृष्ण गीता के अठारहवाँ  अध्याय में  परम गूढ़  रहस्य बताते है -


तो उस परम रहस्य को जानते है जो गीता में उन्होंने दिया है ?


य इमं परमं गुह्यं मद्भक्तेष्वभिधास्यति ।

भक्तिं मयि परां कृत्वा मामेवैष्यत्यसंशयः ৷৷18.68৷৷

भावार्थ : जो व्यक्ति  मुझमें परम प्रेम करके इस परम रहस्ययुक्त गीताशास्त्र को मेरे भक्तों में कहेगा, वह मुझको ही प्राप्त होगा- इसमें कोई संदेह नहीं है ৷

न च तस्मान्मनुष्येषु कश्चिन्मे प्रियकृत्तमः ।

भविता न च मे तस्मादन्यः प्रियतरो भुवि ৷৷18.69৷৷


भावार्थ : उससे बढ़कर मेरा प्रिय कार्य करने वाला मनुष्यों  में कोई भी नहीं है तथा सम्पूर्ण संसार में  उससे बढ़कर मेरा प्रिय कार्य करने वाला  भविष्य में भी नहीं होगा। 

अध्येष्यते च य इमं धर्म्यं संवादमावयोः ।

ज्ञानयज्ञेन तेनाहमिष्टः स्यामिति मे मतिः ৷৷18.70৷৷

भावार्थ : जो पुरुष इस धर्ममय हम दोनों के संवाद रूप गीताशास्त्र को पढ़ेगा, उसके द्वारा भी मैं ज्ञानयज्ञ  से पूजित होऊँगा- ऐसा मेरा मत है ৷

श्रद्धावाननसूयश्च श्रृणुयादपि यो नरः ।

सोऽपि मुक्तः शुभाँल्लोकान्प्राप्नुयात्पुण्यकर्मणाम्‌ 
৷৷18.71৷৷

भावार्थ : जो मनुष्य श्रद्धायुक्त और दोषदृष्टि से रहित होकर इस गीताशास्त्र का श्रवण भी करेगा, वह भी पापों से मुक्त होकर उत्तम कर्म करने वालों के श्रेष्ठ लोकों को प्राप्त होगा ৷ 

मोक्षदा एकादशी का क्या  महत्त्व है ?


पांडवो में ज्येष्ठ धर्मराज युधिष्ठिर भगवान श्रीकृष्ण से आग्रह करते है, की मुझे मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के विषय में  बताइये।

इस एकादशी को कैसे किया जाता है ? इसे करने से क्या लाभ होता है ?
 
सुनो धर्मराज यह एकादशी मोक्षदा एकादशी है।
 
यह मोक्ष को देने वाला है और यह तुम्हारी सभी मनोकामना को पूरा करने वाला है।

इस एकादशी से तुम अपने पूर्वजो को भी कष्ट से मुक्त कर सकते हो। 

अब मैं इस एकादशी की महात्मय  तुमसे  कहने जा रहा हूँ।

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा :-

एक समय की बात है जब गोकुल नगर में वैखानस नाम का एक राजा राज्य करता था।

Mokshda Ekadashi



एक रात उस राजा ने अपने पिता को  स्वप्न में  नरक में देखा। वह अपने पिता को नरक की यातनाये में देखकर व्याकुल हो उठा। 


Mokshada  Ekadashi 2022



उसके पिता उसे नरक से मुक्त कराने को कह रहे थे। 

 प्रातः ही वह  विद्वान ब्राह्मणों के पास गया और अपना स्वप्न उन विद्वान जनो को सुनाया।
 
उन ब्राह्मणों ने उसे भूत, भविष्य, वर्तमान के ज्ञाता पर्वत मुनि का आश्रम जाने को कहा। 

जब वह आश्रम पहुंचे तो देखा की अनेक सिद्ध योगी और मुनि तपस्या कर रहे थे।  वही पर्वत मुनि भी बैठे हुए थे।

Mokshda Ekadashi 2022



मुनि उस व्याकुल राजा को देख, पूछे राजन तो किस बात से चिंतित हो। 

राजा बोले हे मुनिवर आपकी की कृपा से राज्य में किसी चीज की कमी नहीं है। 

लेकिन मैंने अपने पिता को स्वप्न में नरक में देखा। और वह मुझसे  मुक्त कराने को कह रहे थे। 

तब मुनि ध्यान में जाकर राजा के पिता के जीवन काल को जानने का प्रयास किया। 

अपने योग बल से मुनि ने उनके पिता के द्वारा हुए गलतियों को देखा।  उनके पिता की दो पत्नियाँ थी। 

उन्होंने दोनों में पक्षपात किया था।  दोनों को बराबर सम्मान नहीं दिया। 

बराबर तो क्या  उन्होंने एक को जरा सा भी सम्मान नहीं दिया। 
जिस कारण ही उन्हें यह दुःख नरक में भोगना पर रहा है। 

तब राजा ने मुनि से अपने पिता के कल्याण के बारे में पूछा।

मुनि बोले: हे राजन! 
आप  मार्गशीर्ष एकादशी  यानि मोक्षदा एकादशी का  उपवास करें साथ ही  उस उपवास के पुण्य को अपने पिता को समर्पित कर दें।

ऐसा करने से आपके पिता की अवश्य नर्क से मुक्ति मिलेगी। 

राजा मुनिवर को प्रणाम  कर वह से अपने राज महल की और प्रस्थान किया। 

राजा मार्गशीर्ष एकादशी के दिन विधि पूर्वक मोक्षदा एकादशी का व्रत्त किया और अपने पिता को नरक से मुक्ति दिलाई।  

Ekadasi 2023



राजा के पिता मुक्त हुए और अपने पुत्र को कल्याण हो कहकर स्वर्ग की और प्रस्थान किये। 

आप भी अपने पूर्वजो को प्रसन्न करने केलिए मोक्षदा एकादशी कर सकते है।  

हरे कृष्ण हरे कृष्ण 

कृष्ण कृष्ण  हरे हरे 

हरे राम हरे राम 

राम राम हरे हरे 
🙏🙏🙏🙏🙏

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