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प्रेग्नन्सी के दौरान गीता का श्लोक।


प्रेग्नन्सी के दौरान गीता का श्लोक

हिन्दू धर्मग्रंथो के अनुसार - योद्धा अर्जुन और माता सुभद्रा के पुत्र  का नाम अभिमन्यु था।


जो की माता के गर्व में ही चक्रव्यूह को तोड़ना जान गया था।


गर्व के दौरान माता जो भी करती है बच्चे पर उसका काफी प्रभाव पड़ता है। 

Gita Shloka during pregnancy


प्रेग्नन्सी के दौरान गीता का श्लोक

किसी को जन्म देना एक बड़ी बात के साथ,  बड़ी जिम्मेदारी भी है।  क्योंकि बच्चा आना वाला भविष्य है। 


इसलिए माताओं को गर्व के दौरान  खुस रहने, अच्छा सोचने  और अच्छा देखने बोला जाता है। 


गीता का कौन सा श्लोक माताओं के लिए लाभकारी होगा ?


भगवदगीता का अध्याय अठराह में भगवान श्री कृष्णा अर्जुन को संपूर्ण गोपनीयों से अति गोपनीय परम रहस्ययुक्त वचन सुनते है।


, इससे यह परम हितकारक वचन ही हम भी जानने का प्रयास करते  है।  तो चलिए जानते है वो रहस्य क्या है:-

मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु ।

मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ৷৷18.65৷৷


मत्-मनाः - मेरे बारे  में चिंतन करते  हुए; भव - होओ; मत्-भक्तः - मेरा भक्त; मत्-याजी - मेरी  पुजा ;माम् - मुझे ; नमस्कुरु - प्रणाम  करो;माम् - मेरे पास; एव - ही; एष्यसि - आओगे; सत्यम् - सत्य ; ते - तुमसे; प्रतिजाने -  प्रतिज्ञा करता हूँ; प्रियः - प्रिय;असि - हो; मे - मुझको।


भावार्थ : हे अर्जुन! तुम  मुझमें मनवाला हो, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन करने वाला हो और मुझको प्रणाम कर। 


ऐसा करने से तुम  मुझे ही प्राप्त होओगे , यह मैं तुमसे  सत्य प्रतिज्ञा करता हूँ क्योंकि तुम  मेरे अत्यंत प्रिय हो  ৷ 


भगवान यहाँ बिलकुल सरल शब्दो में कह रहे है तुम मेरा ही नाम लो।


यदि कोई माता गर्व के दौरान कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण कहती है , या निरंतर उनका ही ध्यान करती है तो इसमें कोई संदेह नहीं है की उन्हें कृष्ण के प्रसाद स्वरुप ही पुत्र प्राप्त होगा। 

वो परिवार, समाज और देश के लिए हितकारी होगा। 


प्रेग्नन्सी के दौरान गीता का श्लोक  

आप संपूर्ण Shrimad Bhagwat Geeta का अध्यन कर सकती है। 

क्योंकि गीता में श्री कृष्णा बताते है की आपका खान-पान दिनचर्या कैसा होना चाहिए। 


Bhagavad Gita


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